अरुण जेटली जी ने आखिरकार एक अच्छे वकील की भुमिका सरकार के तरफ से निभा ही दी।
अगर आप वित्तीय बजट 2015-16 को देखे तो कह सकते है, corporate oriented बजट था क्योंकि corporate Tax मे 30% की छुट इस तरफ इशारा करती है।
अचम्भा तब हुआ जब EPF मे जमा पुँजी निकासी के समय Tax का प्रावधान किया गया।जमा पुँजी का 40% पर ही Tax की छुट का प्रावधान है शेष राशी पर कितना Tax है पता नही है, यह सविर्स क्लास को परेशान करने वाली बात है । इसका परिणाम हो सकता है कि घरेलू बचत मे कमी होगी जिससे भारतीय अथ॔ब्यवस्था के आधार को चोट पहूँचेगी। 
हम अगर 2007-08 की वित्तीय संकट को याद करे तो भारत की अथ॔ब्यवस्था पर न्यूनतम प्रभाव पड़ा था, क्योकि भारत की घरेलु अथ॔ब्यवस्था मजबुत थी। घरेलु बचत अत्यधिक थी। यह बात इसलिए जायज है क्योकि हम घरेलु अथ॔ब्यवस्था को नियंत्रित कर सकते है पर अगर हम भारतीय अथ॔ब्यवस्था का बड़ा हिस्सा FDI और FII टिका दे तो विषम परिस्थितियो को संभालने असंझम होगें।
अगर हम इस बजट को socio economic बजट बोलते है तो यह कुछ उलझन मे डालता है क्योंकि की 80 लाख रुपया प्रत्येक पंचायत को देना जँहा अत्यधिक भष्टाचार है, अनुदान कहा जाएगा संशय है। यह जरूर कहा जा सकता है कि बजट का अच्छा हिस्सा गांव से जुड़ी स्कीमो पर है लेकिन क्रियान्वन पर कुछ नही कहा गया है जिससे अच्छा खासा हिस्सा भ्रष्टाचार की सुली चढ सकता है।
अच्छी बात यह रही की मनरेगा की महत्ता को समझते हुए 38500 करोड़ रुपए का अनुदान किया गया जो ग्रामीण अथ॔ब्यवस्था को मजबूत करेगा, जंहा देश की अधिक जन्संख्या निवास करती है। गांव के लोगो की purchasing power बढेगी और लोगो के जीवन मे सुधार होगा। इस अनुदान के आलावा और कुछ नही दिखाई देता है ।
अभी तक सब्सिडी की सही परिभाषा को किसी सरकार ने किसी बजट मे समझाया नही है - 
क्या तेल, गैस, राशन तथा अन्य मे सरकार की तरफ से लोगो को दि गई वित्तीय सहायता सब्सिडी है या corporate sector तथा SEZ को Incentives तथा Tax मे छुट सब्सिडी है, या दोनो। जब कि corporate sector. तथा SEZ को तमाम छुट देने के बाद भी साथ॔क परिणाम नही मिले है, हाँ कुछ रोजगार का सृजन है जिसमे वो पुरी मनमानी करते है जब चाहा निकाल दिया, अभी तक इसके बारे मे कोई सरकार गम्भीर नही दिखती । Labour Law Reforms की कोई गम्भीरता ही नही है।
एक अच्छी बात बैंको के लिए यह रही कि Recapitalization के लिए 25000 करोड़ रुपए का अनुदान, NPA से कुछ हद तक उबारने का प्रयास करेगा । सरफेसाई एक्ट मे सुधार का प्रावधान NPA मे डुबे पुँजी को निकालने मे सहायक साबित होगा । 
सरकार ने बुनियादी ढांचे के विकास के लिए जो अनुदान किया है उससे विकास को गति मिलेगी ।
निष्कर्ष यह है कि मध्यमवर्ग को कोई सुविधा नही मिली है बल्कि उनसे धन निकालने का प्रयास किया गया है, महँगाई पिछले दो साल मे बहुत बढ गई है लेकिन लोगो की आय नही बढी है। इस बजट मे वित्तीय घाटे को कम करने का पुरा प्रयास किया गया है । 2014 के चुनाव मे बी.जे.पी . ने सबसे ज्यादा खच॔ किया जो corporate से सहायता प्राप्त था जिसकी भरपाई पिछले तथा इस बजट मे की गई है। सविर्स क्लास को आशा थी कि Tax slab को बढाया जाएगा जो नही हुआ । 
मध्यम वर्ग परेशान हैरान ।