Saturday, February 28, 2015

फिल्मो मे भी खामोशीयां छिपी होती है......पता नही चलता......खोजनी पडती है. कोलाहल मे खामोशी बड़े शहरो की भागदौड़ मे खामोशी , संगीत और गीतो मे खामोशी, लेकिन मन की खामोशीयो को कैसे समझे.....

ऐसे ही लिख डाला......अभिवयक्ती तो जरुरी है...........

No comments:

Post a Comment