Saturday, February 28, 2015

भारत मे हिन्दी पतन की ओर- -

भारत मे हिन्दी की पतन की नीवँ कोलोनीयल राज से ही हो गयी थी. विश्व पुस्तक मेले मे एक संगोषठी मे भाग लिया...हिन्दी भाषा विषय था ,
कई पत्कार आएँ थे, नवभारत टाइम्स के सम्पादक, हिन्दुस्तान के पतरकार और कई पतरकार.
शुद्ध हिन्दी नही लिखाँ जा रहा है किसी भी संम्पादकीय मे शुद्ध हिन्दी नही लिखाँ जा रहा है अगर हिन्दी के दस शब्द है तो उसमे अगे्रजी के पाँच शब्द मिलेगें, पबि्लक का आरोप था कि मिडियाँ दोषी है, वही पतरकार लोग काआरोप था कि जनता को ऐसे पेपर और चैनल को बहिषँकार करना चाहिएँ, मैने बोला ये तो आपसी दँन्द है,
बाजारवाद के सामने हिन्दी कमजोर है, नवभारत टाइम्स के संम्पादक ने कहा,पहले शुद्ध हिन्दी के अखबार की कापीयाँ एक लाख बिकती थी अब पाँच लाख बिकती है क्यो की आज हिन्गलीस का उपयोग किया जाता है, मैने बोला आज सारा कुछ बाजारवाद तय करता है, हमारे भारत मे कितने अच्छे हिन्दी के स्कुल है, आज सारे लोग बच्चो को रोजगारपरक पढाई कराना चाहते है, चुकी हिन्दी हमारी भाषा है तो बच्चे पढते है, बाजारवाद मे अगरेजी मजबुत है, रोजगार की संभावनाए है,
हिन्दी कमजोर हुई है और हो रही है आज हम हिन्दी भाषियो को आगे बढना होगा, सुदुढ करना होगा हिन्दी को. हिन्दी कमजोर पेड़ की तरह दिखता है, बचाना होगा और मजबुत पेड़ बनाना होगा......बाजारवाद से लड़ना होगा, आईए हम सभी आगे बढे....

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