A Great person left ..Sorrowful. .
आज वो पल याद आ गया जब मैंने डॉक्टर कलाम साहब का भाषण BHU के स्वतंत्रता भवन के सभागार मे सुना था । सभागार खचाखच भरा था, कई लोग चाहकर भी सभागार मे न आ सके थे। ओजस्वी भाषण, उन्होंने स्वामी विवेकानंद जी और जमशेद रतन टाटा जी के बारे मे बात करते हुए नेतृत्व क्षमता की बात की थी। छात्रो शिक्षको को अपनी असीम ऊर्जा और दमदार भाषण से अभिभूत किया था ।
उसी समय युवाओ को कुछ किताबो को पढने को कहा था, उसी मे से एक किताब थी "Empires of The Mind - Denis Waitely" जो मैंने अगले ही दिन Indica Books, गदौलिया की दुकान से खरीदी थी। आज भी वो किताब मेरे जेहन के सबसे करीब है।
उसी समय युवाओ को कुछ किताबो को पढने को कहा था, उसी मे से एक किताब थी "Empires of The Mind - Denis Waitely" जो मैंने अगले ही दिन Indica Books, गदौलिया की दुकान से खरीदी थी। आज भी वो किताब मेरे जेहन के सबसे करीब है।
आज वो सारे शब्द कानो मे गुजं रहे है।
सादर नमन आपको कलाम सर।।
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